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स्कन्द षष्ठी का महत्व और व्रत विधि - Skand shasti ka mehtva aur vrat vidhi

स्कंद षष्ठी व्रत 16 अप्रैल 2021 को पड़ रही है। इस व्रत को कार्तिकेय भगवान के लिए रखा जाता है। यह व्रत मुख्य रूप से भारत के दक्षिण राज्यों में मनाया जाता है। कार्तिकेय भगवान शिव और माता पार्वती के बड़े पुत्र हैं। आइए इस लेख में जानते हैं स्कंद षष्ठी की पूजा विधि और धार्मिक महत्व –

स्कन्द षष्ठी का महत्व –

धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्कन्द षष्ठी के दिन भगवान कार्तिकेय की पूजा करने से सभी तरह की परेशानियां दूर हो जाती हैं और जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है उसे वैभव और सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही व्रत रखने से संतान का सुख मिलत है। हालांकि यह त्यौहार दक्षिण भारत में मुख्य रूप से मनाया जाता है। दक्षिण भारत में भगवान कार्तिकेय को सुब्रह्मण्यम भी कहते हैं। उनका सबसे प्रिय फूल चंपा है। इसलिए इस व्रत को चंपा षष्ठी भी कहते हैं।

स्कन्द षष्ठी पूजा विधि -

  • · सुबह जल्दी उठें और घर की सफाई करें।

  • · इसके बाद नहा धोकर व्रत रखें।

  • · घर के मंदिर में गौरी और शिव जी के साथ कार्तिकेय की मूर्ती स्थापित करें।

  • · पूजा आप जल, मौसमी फल, फूल, मेवा, कलावा, दीपक, अक्षत, हल्दी, चंदन, दूध, गाय का घी, इत्र आदि से करें।

  • · आखिर में आरती करें।

  • · साथ में शाम को कीर्तन-भजन के बाद आरती करें।

  • · इसके बाद फलाहार का सेवन करें।