पर्व

मां कूष्मांडा - Maa Kushmanda

नवरात्र पूजन के चोथे दिन कूष्मांडा देवी के स्वरूप की ही उपासना की जाती है त्रिवीध ताप युक्त संसार इनके उदर मे स्थित है, इसलिए ये भगवती "कूष्मांडा" कहलाती है |   ईषत हँसने से अंड को अर्थात ब्रामंड को जो पैदा करती है , वही शक्ति कूष्मांडा है | जब सृष्टि का अस्तित्व नही था , तब इन्ही देवी ने ब्रह्मांड की रचना की थी |

माता चंद्रघंटा का उपासना मंत्र

सुरासम्पूर्णकलशं रुधिराप्लुतमेव च।दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्माण्डा शुभदास्तु मे॥

  • प्रथम नवदुर्गा : माता शैलपुत्री

  • द्वितीय नवदुर्गा : माता ब्रह्मचारिण

  • तृतीय नवदुर्गा : माता चंद्रघंटा

  • चतुर्थी नवदुर्गा : माता कूष्मांडा

  • पंचम नवदुर्गा : माता स्कंदमाता

  • षष्ठी नवदुर्गा : देवी कात्यायनी

  • सप्तम नवदुर्गा : माता कालरात्रि

  • अष्टम नवदुर्गा : माता महागौरी

  • नवम नवदुर्गा: माता सिद्धिदात्री

माता का स्वरूप

माता की आठ भुजाए है| अतः ये अष्टभुजा देंनवी के नाम से भी विख्यात है| इनके साथ हाथो मे क्रमश: कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा है | आठवे हाथ मे सभी सिद्धियो ओर निधियो को देने वाली जप माला है | इनका वाहन सिंह है |

आराधना महत्व

माता कूष्मांडा की उपासना से भक्तो के समस्त रोग - शोक मिट जाते है | देवी आयु, यश, बल ओर आरोग्य देती है | शरणागत को परम पद की प्राप्ति होती है | इनकी कृपा से व्यापार व्यवसाय मे वृद्धि व कार्य मे उन्नति, आय के नये मार्ग प्राप्त होते है |

पूजा मे उपयोगी वस्तु

चतुर्थी के दिन मालपुए का नैवेद्य अर्पित किया जाए और फिर उसे योग्य ब्राह्मण को दे दिया जाए। इस अपूर्व दान से हर प्रकार का विघ्न दूर हो जाता है।

कूष्मांडा माता की आरती

कुष्मांडा जय जग सुखदानीमुझ पर दया करो महारानीपिंगला ज्वालामुखी निराली शाकम्बरी माँ भोली भाली लाखो नाम निराले तेरे भगत कई मतवाले तेरे भीमा पर्वत पर है डेरा स्वीकारो प्रणाम ये मेरा संब की सुनती हो जगदम्बे सुख पौचाती हो माँ अम्बे तेरे दर्शन का मै प्यासा पूर्ण कर दो मेरी आशा माँ के मन मै ममता भारी क्यों ना सुनेगी अर्ज हमारी तेरे दर पर किया है डेरा दूर करो माँ संकट मेरा मेरे कारज पुरे कर दो मेरे तुम भंडारे भर दो तेरा दास तुझे ही ध्याये 'भक्त' तेरे दर शीश झुकाए