पर्व

गुरु अंगद देव जयंती - Guru Angad Dev Birthday

सिख समुदाय के द्वितीय सत-गुरु अंगद देव जी का जन्म पाँच बैसाख संवत 1561 (31 मार्च 1504) को गाँव मत्ते की सराय जिला फ़िरोज़पुर में फेरुमल और दया कौर के घर हुआ। अंगद देव जी को लहना (लहीणा) नाम से भी जाना जाता है। गुरु अंगद देव जी के जन्मोत्सव को 'अंगददेव जयंती’ के रूप में मनाया जाता है।

गुरु अंगद देव जयंती (Guru Angad Dev Jayanti )

साल 2022 में गुरु अंगद देव जयंती 18 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस अवसर पर गुरुद्वारों में भव्य कार्यक्रम सहित गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ किया जाता है। अंत: सामूहिक भोज (लंगर) का आयोजन किया जाता है। इस अवसर पर खडूर साहिब में विशेष कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है।

गुरु अंगद देव का जीवन (Life History of Guru Angad Dev Ji)

गुरु पद पाने के लिए कई परीक्षाएँ रखी गईं, जिनमें गुरु नानक देव के पुत्र भी शामिल थे। सभी परीक्षाओं व आदेशों का पालन गुरु-भक्ति के भाव से करने के कारण ही गुरु अंगद देव जी को गुरु पद की उपाधि प्राप्त हुई।

गुरु अंगद देव जी ने ‘गुरुमुखी’ (पंजाबी लिपि) का आविष्कार किया। साथ ही गुरु नानकदेव की वाणी को लेखों के रूप में संजोए रखा। जात-पात से परे हटकर गुरु अंगद जी ने ही लंगर की प्रथा चलाई।