पर्व

ईद उल आधा - Eid ul Zuha

ईद-उल-ज़ुहा एक प्रमुख इस्लामिक त्यौहार है, इसे बकरीद के नाम से भी जाना जाता है। ईद-उल-ज़ुहा के मौके पर मुस्लिम संप्रदाय के लोग "अल्लाह के प्रति अपनी आस्था और वफादारी दिखाने" के लिए बकरे या अन्य जानवरों की कु़र्बानी देते हैं। इस वर्ष भारत में ईद-उल-ज़ुहा (बकरीद) का त्यौहार "09 जुलाई 2022" को मनाया जाएगा। 

बकरीद पर कु़र्बानी (Facts of Bakrid in Hindi)

इस दिन लोग ईद की नमाज़ के बाद जानवर की कु़र्बानी देते हैं और मांस को तीन हिस्सों में बांट देते हैं। एक हिस्सा अपने पास रखते हैं, दूसरा सगे-संबंधियों तथा दोस्तों को और तीसरा हिस्सा गरीबों को दिया जाता है। 

इस्लाम धर्म की धार्मिक पुस्तक हदीस ईद उल जुहा के मौके पर कुर्बानी को बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है। यह अल्लाह के प्रति मन में बसे लगाव और प्रेम को इजहार करने का एक तरीका माना जाता है। क़ुर्बानी के समय मन में सच्ची भावना और श्रद्धा रख यह सुनिश्चित किया जाता है कि अल्लाह के लिए ही सब कुछ है, जो है वह अल्लाह ही है। इस पर्व का मुख्य संदेश है कि इंसान को सच्चाई की राह पर कुछ भी न्यौछावर करने के लिए तैयार रहना चाहिए।