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Somwar Mantra : जानिये भगवान शिव के अनेक रूप के बारे में

नई दिल्ली , 25 सितम्बर 2023 : शिव हिंदू धर्म के सबसे लोकप्रिय देवताओं में से एक हैं। उन्हें आदि देव यानी सभी देवताओं के देवता के रूप में जाना जाता है। शिव के कई रूप हैं, जिनमें से प्रत्येक उनकी एक अलग विशेषता या शक्ति का प्रतिनिधित्व करता है।

शिव के सबसे प्रसिद्ध रूप हैं:

  • शिव शंकर: यह शिव का सबसे सौम्य रूप है। शिव शंकर को प्रेम, करुणा और मोक्ष के देवता के रूप में जाना जाता है।

  • शिव रुद्र: यह शिव का सबसे उग्र रूप है। शिव रुद्र को विनाश के देवता के रूप में जाना जाता है।

  • शिव नटराज: यह शिव का नृत्य करते हुए रूप है। शिव नटराज को सृष्टि, स्थिति और संहार के चक्र का प्रतिनिधित्व माना जाता है।

  • शिव महाकाल: यह शिव का समय के देवता के रूप में रूप है। शिव महाकाल को कालचक्र का नियंत्रक माना जाता है।

  • शिव अर्धनारीश्वर: यह शिव और पार्वती का अर्ध-नारी रूप है। शिव अर्धनारीश्वर को स्त्री-पुरुष समानता के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।

शिव के इन मुख्य रूपों के अलावा, उनके कई अन्य रूप भी हैं, जैसे कि:

  • शिव पशुपति: यह शिव का पशुओं के देवता के रूप में रूप है।

  • शिव भोलेनाथ: यह शिव का भोले और भोलेनाथ के रूप में रूप है।

  • शिव गंगाधर: यह शिव का गंगा नदी को अपनी जटाओं में धारण करने वाले के रूप में रूप है।

  • शिव नीलकंठ: यह शिव का विष पीने के बाद नीला कंठ वाला रूप है।

  • शिव त्रिलोचन: यह शिव का तीन आंखें वाला रूप है।

शिव के ये सभी रूप उनके विभिन्न गुणों और शक्तियों का प्रतिनिधित्व करते हैं। शिव के भक्त अपने अलग-अलग रूपों में उनकी पूजा करते हैं, जो उनकी इच्छाओं और जरूरतों पर निर्भर करता है।

शिव के अनंत रूपों को समझने के लिए, यह आवश्यक है कि हम यह समझें कि शिव वास्तव में क्या हैं। शिव एक ऐसी चेतना हैं जो सभी चीजों में व्याप्त है। वे सृष्टि, स्थिति और संहार के चक्र का प्रतिनिधित्व करते हैं। वे जीवन और मृत्यु, प्रकाश और अंधकार, अच्छाई और बुराई के द्वंद्वों को पार कर गए हैं।

शिव के अनंत रूपों को समझने के लिए, हमें यह भी समझना होगा कि हम सभी में शिव का अंश विद्यमान है। हम सभी में सृष्टि, स्थिति और संहार की शक्ति है। हम सभी में जीवन और मृत्यु, प्रकाश और अंधकार, अच्छाई और बुराई के द्वंद्वों को पार करने की क्षमता है।

शिव के अनंत रूपों को समझने का अर्थ है स्वयं को समझना। यह अर्थ है अपने भीतर की शक्ति और क्षमता को समझना। यह अर्थ है जीवन के सभी द्वंद्वों को पार करना और एक समग्र इंसान बनना।

शिव के अनंत रूपों को समझने का अर्थ है अपने भीतर के शिव को जगाना। यह अर्थ है अपने आप को सर्वोच्च चेतना से जोड़ना।

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