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Navratri Special : जानिये माता कात्यायनी के स्वरुप , पूजा एवं मंत्र के बारें में

नई दिल्ली , 20 अक्टूबर 2023 : कात्यायनी माता, माँ दुर्गा के नौ रूपों में छठे स्वरूप के रूप में पूज्य हैं। इस रूप को अपनाने का कारण है उनके भक्त ऋषि कात्यायन का आशीर्वाद। देवी भागवत पुराण में एक कथा है, जिसमें बताया गया है कि ऋषि कात्यायन देवी आदिशक्ति के श्रेष्ठ भक्त थे और उन्होंने चाहा कि देवी उनके घर आकर उनकी संतान की रूप में प्रकट हों। उसके लिए ऋषि ने वर्षों तक कठिन तपस्या की।

कात्यायनी का नाम और स्वरूप: इस तपस्या से प्रसन्न होकर देवी ने उनकी इच्छा पूरी की और अपनी पुत्री रूप में प्रकट हुईं। ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण, उन्हें माता कात्यायनी कहा गया। पहली बार, इनकी पूजा को महर्षि कात्यायन ने की थी और उनकी तपस्या के बाद ही देवी ने महिषासुर का समापन किया, जिसके कारण वे "महिषासुरमर्दिनी" भी कहलाई गईं।

देवी कात्यायनी की पूजा: देवी कात्यायनी को ब्रजभूमि की अधिष्ठात्री देवी के रूप में भी जाना जाता है, और ब्रजभूमि की कन्याएं इनकी आराधना करती हैं। भगवान श्रीकृष्ण ने भी देवी कात्यायनी की पूजा की थी। इस अद्वितीय रूप की पूजा में देवी को मधुयुक्त पान बहुत आनंदप्रद है। प्रसाद के रूप में फल, मिठाई, और शहद सहित इनको अर्पित करना चाहिए।

देवी कात्यायनी का स्वरूप: माता कात्यायनी चार भुजाधारी हैं, जिनमें एक भुजा में शत्रुओं का अंत करने वाला तलवार है और दूसरी भुजा में पुष्प है, जो भक्तों के प्रति इनके स्नेह को दर्शाता है। तीसरी भुजा अभय मुद्रा में है, जो भक्तों को भय मुक्ति प्रदान कर रहा है, और चौथी भुजा वर मुद्रा में है, जो भक्तों को उनकी भक्ति का वरदान देने के लिए है।

माता कात्यायनी का मंत्र और लाभ: माता कात्यायनी की साधना और भक्ति से व्यक्ति वैवाहिक जीवन में सुख की प्राप्ति कर सकता है। इसके अलावा, इस माता की पूजा से विवाह में आ रही किसी भी बाधा को दूर किया जा सकता है। माता कात्यायनी की पूजा के दिन इस मंत्र का जाप करना चाहिए:

"चंद्र हासोज्ज वलकरा शार्दूलवर वाहना। कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानव घातिनी॥"

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