भगवान गणेश और प्रभु भोलेनाथ के बीच महायुद्ध
भगवान गणेश और प्रभु भोलेनाथ के बीच महायुद्ध Social Media
108 नाम

Ganesh Chaturthi 2023: आखिर भगवान गणेश और प्रभु भोलेनाथ के बीच क्यों हुआ महायुद्ध ?

नई दिल्ली रफ्तार डेस्क: भगवान भोलेनाथ गणेश के पिता हैं। भगवान शिव का स्वभाव भोला होने के कारण भक्त उन्हें भोलेनाथ कहते हैं।  भोलेनाथ हमेशा अपने भक्तों पर कृपा बरसाते हैं। और सभी कष्टों से मुक्ति दिलाते हैं। भगवान भोले की अहम भूमिका सृष्टि का संतुलन बनाए रखने में है।  भोलेनाथ को जिस तरह से भोलेपन के कारण जाना जाता है ठीक उसी प्रकार क्रोध के लिए भी वह विश्व में विख्यात हैं। भगवान शंकर का क्रोध शांत करना बहुत ही मुश्किल है। जब भोलेनाथ को क्रोध आता है तभ अन्य  देवताओं वार  करना नहीं भूलते। उन्होंने क्रोध में आकर न केवल अपने पुत्र गणेश का सिर कटा बल्कि अन्य देवताओं और राक्षसों का वध भी किया। उन्हें ब्रह्मा जी के पुत्र दक्ष प्रजापत का भी सिर काटा था। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक बार भोलेनाथ अपने ही पुत्र से गणेश से लड़ गए थे। क्या है इसके पीछे की  कथा। आइए जानते हैं।

क्या है पौराणिक मान्यता :

भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र श्री गणेश है।  जिनकी  किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले पूजा की जाती हैं।  कुछ लोग अपने जीवन को सफल बनाने के लिए गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं।  भगवान गणेश को गणपति भी कहा जाता है।  पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने अपने गर्भ से गणेश को जन्म नहीं दिया बल्कि उन्होंने अपने शरीर के मैल से उनकी रचना की थी। यह बात उनके पति देवों के देव महादेव को ज्ञात नहीं थी।  एक बार मां पार्वती ने गणेश भगवान को द्वार पर खड़ा कर दिया। और   वह स्नान करने चली गई। इसके बाद कुछ देर बाद द्वार पर जब भोलेनाथ आए तो गणेश जी ने उनको रोक लिया और अंदर जाने से मना किया लेकिन भोले शंकर नहीं माने और क्रोधित हो गए क्रोध में भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। सभी देवी देवता यह दृश्य देख रहे थे। गणेश का सिर अलग होते ही सभी देवताओं में हड़कंप मच गया।  जब यह बात मां पार्वती को पता चली तो वह दौड़ती हुई आई और विलाप करने लगी । चारों तरफ हाहाकार मच गया था। सभी देवी देवता इकट्ठा हो गए मां पार्वती ने क्रोध में आकर देवी का रूप धारण कर लिया और पुत्र को पुनः जीवित करने की जिद करने लगी। तभी भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए गणेश के घर से हाथी का सिर  जोड़ दिया। जिससे वह जीवित हो गए ।  हाथी का सिर लगने की वजह से भगवान गणेश जी को एक दंत,  विघ्नहर्ता,  लंबोदर भी कहा जाने लगा।

क्या है पौराणिक मान्यता :

भगवान शिव और मां पार्वती के पुत्र श्री गणेश है।  जिनकी  किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले पूजा की जाती हैं।  कुछ लोग अपने जीवन को सफल बनाने के लिए गणेश जी की पूजा अर्चना करते हैं।  भगवान गणेश को गणपति भी कहा जाता है।  पौराणिक कथा के अनुसार माता पार्वती ने अपने गर्भ से गणेश को जन्म नहीं दिया बल्कि उन्होंने अपने शरीर के मैल से उनकी रचना की थी। यह बात उनके पति देवों के देव महादेव को ज्ञात नहीं थी।  एक बार मां पार्वती ने गणेश भगवान को द्वार पर खड़ा कर दिया। और   वह स्नान करने चली गई। इसके बाद कुछ देर बाद द्वार पर जब भोलेनाथ आए तो गणेश जी ने उनको रोक लिया और अंदर जाने से मना किया लेकिन भोले शंकर नहीं माने और क्रोधित हो गए क्रोध में भगवान शिव ने अपने पुत्र गणेश का सिर धड़ से अलग कर दिया। सभी देवी देवता यह दृश्य देख रहे थे। गणेश का सिर अलग होते ही सभी देवताओं में हड़कंप मच गया।  जब यह बात मां पार्वती को पता चली तो वह दौड़ती हुई आई और विलाप करने लगी । चारों तरफ हाहाकार मच गया था। सभी देवी देवता इकट्ठा हो गए मां पार्वती ने क्रोध में आकर देवी का रूप धारण कर लिया और पुत्र को पुनः जीवित करने की जिद करने लगी। तभी भगवान शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए गणेश के घर से हाथी का सिर  जोड़ दिया। जिससे वह जीवित हो गए ।  हाथी का सिर लगने की वजह से भगवान गणेश जी को एक दंत,  विघ्नहर्ता,  लंबोदर भी कहा जाने लगा। 

गणेश को शादी का श्राप किसने दिया :

एक पौराणिक कथा के अनुसार  गणेश जी को तपस्या में लीन  देखकर तुलसी जी उन पर मनमोहित हो गई। फिर तुलसी जी ने गणेश जी को शादी का प्रस्ताव रखा तो गणेश जी खुद को ब्रह्मचारी बताते हुए शादी के प्रस्ताव को ठुकरा दिया। गणेश जी की यह बात सुनकर तुलसी जी क्रोधित हो गई और उन्होंने गणेश जी को श्राप दिया कि तुम्हारे दो विवाह होंगे । फिर  गणेश जी का विवाह रिद्धि और सिद्धि के साथ हुआ।