108 नाम

नवम नवदुर्गा (माता सिद्धिदात्री) - Mata Siddhdatri (Mata sidhidatri) in Hindi

माता दुर्गाज़ी की नवी शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है | ये सभी प्रकार की सिद्धियो को देने वाली है | ममता मोह से विरक्त होकर महर्षि मेधा के उपदेश से समाधि ने देवी की आराधना कर, ज्ञान प्राप्त कर मुक्ति प्राप्त की थी | सिद्धि अर्थात मोक्ष को देने वाली होने से उस देवी का नाम "सिद्धिदात्री" पड़ा |

माता सिद्धिदात्री का उपासना मंत्र

सिद्धगन्धर्वयक्षाघैरसुरैरमरैरपि।सेव्यमाना सदा भूयात् सिद्धिदा सिद्धिदायिनी॥

  • प्रथम नवदुर्गा : माता शैलपुत्री

  • द्वितीय नवदुर्गा : माता ब्रह्मचारिण

  • तृतीय नवदुर्गा : माता चंद्रघंटा

  • चतुर्थी नवदुर्गा : माता कूष्मांडा

  • पंचम नवदुर्गा : माता स्कंदमाता

  • षष्ठी नवदुर्गा : देवी कात्यायनी

  • सप्तम नवदुर्गा : माता कालरात्रि

  • अष्टम नवदुर्गा : माता महागौरी

  • नवम नवदुर्गा: माता सिद्धिदात्री

माता का स्वरूप

माता सिद्धिदात्री की चार भुजाए, वर्ण रक्त, वाहन सिंह , कमल पुष्प पर आसीन एक हाथ मे कमल पुष्प, दूसरे हाथ मे चक्र, तीसरे हाथ मे गदा ओर चोथे हाथ मे शंख है | इनके नेत्रो मे करुणा लहरा रही है | देवी प्रसन्न मुद्रा मे है |

आराधना महत्व

माता सिद्धिदात्री की आराधना से जातक को अणिमा, महिमा, प्राप्ति, प्रकाम्य, गरिमा, लघिमा, ईशित्व और वशित्व आदि समस्त सिद्धियो एवं नव निधियो की प्राप्ति होती है | इनकी उपासना से आर्तजनो के असंभव कार्य भी संभव हो जाते है | अतः इनके चरणों  की शरण पाने के लिए हमे सर्वविध प्रयत्न करना चाहिए | देवी की कृपा से विशुद्ध ज्ञान के द्वारा जीव अपने जीव भाव को त्याग कर जीवन मुक्ति प्राप्त करता है |

पूजा मे उपयोगी वस्तु

नवमी तिथि को भगवती को धान का लावा अर्पित करके ब्राह्मण को दे देना चाहिए। इस दिन देवी को अवश्य भोग लगाना चाहिए।विशेष:समस्त सिद्धियों की प्राति के लिए मां सिद्धिदात्री की पूजा विशेष मानी जाती है।

माता सिद्धिदात्री की आरती

जय सिद्धिदात्री तू सिद्धि की दातातू भक्तो की रक्षक  तू दासो की माता तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि,तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि  !!कठिन  काम  सिद्ध  कराती  हो  तुम ,जभी  हाथ  सेवक  के  सर  धरती  हो  तुम  !!तेरी  पूजा  मैं  तो  न  कोई  विधि  है ,तू  जगदम्बें  दाती  तू  सर्वसिद्धि  है  !!रविवार  को  तेरा  सुमरिन  करे  जो ,तेरी  मूर्ति  को  ही  मन  मैं  धरे  जो  !!तू  सब  काज  उसके  कराती  हो  पूरे ,कभी  काम  उस  के  रहे  न  अधूरे  !!तुम्हारी  दया  और  तुम्हारी  यह  माया ,रखे  जिसके  सर  पैर  मैया  अपनी  छाया !!सर्व  सिद्धि  दाती  वो  है  भागयशाली ,जो  है  तेरे  दर  का  ही  अम्बें  सवाली  !!हिमाचल  है  पर्वत  जहाँ  वास  तेरा ,महा नंदा मंदिर मैं है वास  तेरा  !!मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता ,वंदना है  सवाली तू जिसकी दाता !!