तीर्थंकर

चन्द्रप्रभ जी के बारे में

चन्द्रप्रभ प्रभु आठवें तीर्थंकर थे जो काफी प्रसिद्ध हैं। चन्द्रप्रभ जी का जन्म पावन नगरी काशी जनपद के चन्द्रपुरी में हुआ था। उनका जन्म पौष माह की कृष्ण पक्ष द्वादशी को अनुराधा नक्षत्र में हुआ था। इनके माता पिता राजा महासेन और लक्ष्मणा देवी थी। इनके शरीर का रंग श्वेत और चिह्न चन्द्रमा था।

चन्द्रप्रभ जी अन्य तीर्थंकर होने से पहले राजा के दायित्व को निभाया। जब चन्द्रप्रभ जी साम्राज्य का संचालन कर रहे थे तभी उनका ध्यान अपने लक्ष्य की तरफ गया यानि उनका लक्ष्य मोक्ष प्राप्ति था। उन्होंने राजपद का त्याग करके मोक्ष प्राप्ति का फैसला लिया। तीन माह की छोटी उम्र में ही उन्होंने फ़ाल्गुन कृष्ण सप्तमी के दिन केवली ज्ञान की प्राप्ति की और धर्मतीर्थ की रचना करके तीर्थंकर पद उपाधि प्राप्त की। भाद्रपद कृष्णा सप्तमी के दिन सम्मेद शिखर पर रहकर उन्होंने मोक्ष प्राप्त किया।