नई दिल्ली , 26 नवंबर 2023 : हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के लिए कई नियम बताए गए हैं, जिनका पालन करने से पूजा सफल होती है और घर में सुख-समृद्धि आती है। वास्तु शास्त्र में भी पूजा घर से लेकर पूजा-पाठ के नियम और दिशा बताए गए हैं, जिनका पालन करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
हर घर में देवी-देवताओं की पूजा के लिए एक विशेष स्थान, पूजाघर या मंदिर बना होता है। यह स्थान घर का सबसे पवित्र स्थान होता है, जिसमें देवी-देवताओं की नियमित पूजा भी की जाती है। इसलिए, यह जरूरी है कि इस पवित्र स्थान पर किसी भी तरह का कोई दोष न हो। वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजाघर में दोष होने से कई तरह की मुसीबतों का सामना करना पड़ सकता है।
माचिस की डिब्बी का असर: पूजा में उपयोग होने वाली माचिस की डिब्बी को पूजाघर में नहीं रखना चाहिए, क्योंकि इससे घर में नकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। पूजाघर पवित्र स्थान होता है और इस पवित्र स्थान पर ज्वलनशील सामग्री रखना अशुभ माना जाता है। माचिस के साथ ही पूजाघर में लाइटर जैसी ज्वलनशील सामग्री भी नहीं रखनी चाहिए। इसके इस्तेमाल के बाद, इसे किसी अन्य स्थान पर रखना उचित है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, माचिस की डिब्बी को मंदिर में या भगवान की मूर्ति के पास नहीं रखना चाहिए, और माचिस जलाने के बाद इसकी तिली को भी मंदिर में नहीं फेंकना चाहिए। माचिस की जली हुई तीलियां नकारात्मकता को बढ़ाती हैं, जो घर के लिए दुर्भाग्य का कारण भी बनती है।
वास्तु शास्त्र के अनुसार, मंदिर या पूजाघर के साथ ही बेडरूम में भी माचिस या लाइटर जैसी ज्वलनशील चीजें नहीं रखनी चाहिए, क्योंकि ऐसा करने से इसका नकारात्मक प्रभाव दांपत्य जीवन पर पड़ता है।
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